रांची के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल टैगोर हिल | Tagore Hill Ranchi , Jharkhand | Tagore Hill History | Jharkhand Circle

Akashdeep Kumar
Akashdeep Kumar - Student
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रांची, झारखंड की राजधानी, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहरों का खजाना है। यहाँ का हर कोना पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इन्हीं में से एक प्रमुख आकर्षण है टैगोर हिल ( Tagore Hill ), जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियाँ भी इसे खास बनाती हैं।

इस ब्लॉग में, हम आपको टैगोर हिल ( Tagore Hill ) के इतिहास, वहाँ तक पहुँचने के मार्ग, यहाँ की प्रमुख गतिविधियों और इसके आस-पास के अन्य आकर्षणों के बारे में विस्तार से बताएंगे। तो चलिए, एक यात्रा पर निकलते हैं टैगोर हिल की ओर और जानते हैं इसके हर पहलू को करीब से।

टैगोर हिल से वास्ता ज्योतिंद्रनाथ टैगोर का था – Jyotindranath Tagore was associated with Tagore Hill.

राँची शहर के पश्चिमी छोर पर मोरहाबादी में एक पहाड़ी है, जिसे आज टैगोर हिल के नाम से जाना जाता है। कई जगह इस बात का उल्लेख है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने यहाँ पर गीतांजलि के कुछ अंश रचे थे।

टैगोर का नाम सुनकर लोग अक्सर कन्फ्यूज्ड हो जाते है , और रबीन्द्रनाथ टैगोर से जोड़ देते है। जबकि रवींद्रनाथ टैगोर हजारीबाग तो आए थे, लेकिन राँची कभी नहीं आए थे। टैगोर हिल से वास्ता उनके बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर का था। ज्योतिंद्रनाथ राँची 1908 में आए थे और 4 मार्च, 1925 तक अर्थात् अपने देहांत तक यहीं रहे। उनका अंतिम संस्कार हरमू घाट पर किया गया। इसके बाद उनकी समाधि हिल पर ही बनाई गई।

क्यों ज्योतिंद्रनाथ टैगोर आए राँची ? Why did Jyotindranath Tagore come to Ranchi ?

4 मई, 1849 को जन्मे ज्योतिंद्रनाथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। संगीतज्ञ, गायक, पेंटर, अनुवादक, नाटककार, कवि कला के जितने रूप हो सकते हैं, उनमें वे सिद्धहस्त थे। रवींद्रनाथ पर इनका गजब का प्रभाव था। यह अपने पिता की चौथी संतान थे। 1868 में कादंबरी देवी से इनका विवाह हुआ। पर, कादंबरी देवी ने 19 अप्रैल, 1884 को आत्महत्या कर ली, इससे ये बड़े दुखी हुए। इसके बाद इनका मन उचटने लगा। वे ठाकुरबाड़ी छोड़कर कुछ दिनों तक अपने अग्रज भारत के पहले आई.ए.एस. सत्येंद्रनाथ के साथ रहने लगे। 1905 में अपने पिता महर्षि देवेंद्रनाथ के निधन के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक वैरागी होकर विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया। फिर शांति की खोज में वे 1 अक्तूबर, 1908 को राँची आए। यहाँ पर मोरहाबादी स्थित पहाड़ी उन्हें पसंद आ गई। तब यह वीरान था। यहाँ पर 1842-48 तक कैप्टन एआर ओस्ली रहे। उन्होंने ही यहाँ पर एक रेस्ट हाउस बनवाया था।

ओस्ली राँची 1839 में आए थे – Osley came to Ranchi in 1839

ओस्ली राँची 1839 में आए थे। इसके बाद उन्होंने मोरहाबादी पहाड़ पर यह रेस्ट हाउस बनवाया। वे प्रतिदिन प्रातः काल काले घोड़े पर सवार होकर मोरहाबादी मैदान में टहलने के लिए जाते थे। फिर रेस्ट हाउस में आकर विश्राम करते थे। उनके भाई ने किसी अज्ञात कारण से इस रेस्ट हाउस में आत्महत्या कर ली। इसके बाद ओस्ली का मन यहाँ से उचट गया और इसके बाद फिर वह कभी नहीं आए। इसके बाद यह वीरान हो गया।

जब ज्योतिंद्रनाथ टैगोर, टैगोर हिल आए – When Jyotindranath Tagore came to Tagore Hill

जब ज्योतिंद्रनाथ यहाँ आए तो उन्होंने यहाँ के जमींदार हरिहरनाथ सिंह से इसे 290 रुपए वार्षिक भाड़े पर ले लिया। इसके बाद उन्होंने टूटे-फूटे रेस्ट हाउस को दुरुस्त करवाया। पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनवाई गईं। मकान के प्रवेश द्वार पर एक तोरण द्वार बनवाया गया। द्वार के निकट विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियाँ, कुछ हिरन, कुछ मोर रखकर एक आश्रम का रूप दिया गया। वे ब्रह्म समाजी थे, इसलिए ध्यान-साधना के लिए बुर्ज पर एक खुला मंडप बनवाया। अपने मकान का नाम शांतालय रखा। मंडप चौकोर है, स्लैप बलुआ पत्थर का है, शिखर नागर शैली में बना है।

पहाड़ के नीचे सत्येंद्रनाथ ने एक मकान बनवाया था, जिसका नाम रखा था-‘सत्यधाम’। कहा जाता है कि राँची में हाथ रिक्शा का प्रचलन इन्हीं के कारण हुआ । ज्योतिंद्रनाथ की डायरी से पता चलता है कि उन दिनों राँची के गणमान्य लोग उनके भवन में प्राय: आते थे तथा साहित्य, संगीत, उपासना आदि कार्यक्रमों में शामिल होते थे। वे आस-पास के आदिवासियों से बहुत प्रेम करते थे। पहाड़ी पर जब भी कोई बड़ा आयोजन होता था तो उसमें आदिवासी जरूर शामिल होते थे।

1980 में ब्रोकरों ( दलालों ) की नजर थी टैगोर हिल पर – In 1980, brokers had their eyes on Tagore Hill.

पहाड़ी पर टैगोर हिल को 1980 में यहाँ के ब्रोकरों ने बेचने का प्लान बनाया। इसके कई दावेदारभी खड़े हो गए। भूदान योजना समिति बनाम मंदोदरी देवी का मामला एल.आर.डी.सी. कोर्ट में गया। कोर्ट ने दोनों के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक ऐतिहासिक स्मारक है, इसलिए इस पर कोई दावा नहीं कर सकता।

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पहले आप ये बताइये की आप कहाँ से ये पोस्ट पढ़ रहे हो , और उसके बाद बताइये कि क्या आपने कभी भी टैगोर हिल ( Tagore Hill ) घूमने को गए हो ?

जोहार!

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जोहार ! मेरा नाम आकाशदीप कुमार है और मैं यहाँ झारखंड राज्य से संबंधित लेख लिखता हूँ | मैं आपका स्वागत करता हूँ jharkhandcircle.in पर, यहाँ आपको झारखंड राज्य से जुड़ी सभी जानकारियाँ मिलेंगी। जैसे कि Daily Top News of jharkhand, Jobs, Education, Tourism और Schemes। यह साइट केवल झारखंड राज्य को समर्पित है और मेरा लक्ष्य है कि आपको झारखंड राज्य की सभी जानकारियाँ एक ही स्थान पर मिलें। धन्यवाद।
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