जोहर दोस्तों , आज के इस ब्लॉग में , मैं आपको बताने जा रहा हूँ हिज़ला मेला ( Hijla Mela ) के बारे में। यह मेला तो काफी पुराना है , लेकिन झारखंड सरकार ने 2008 से इस मेले को एक उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया और 2015 में इस मेले को राज्य मेले का दर्जा दिया गया, जिसके बाद से इस मेले को “ राज्य आदिवासी हिज़ला मेला महोत्सव ” के नाम से जाना जाता है।
हिज़ला मेला क्यों मनाया जाता है ? – Why is Hijla fair celebrated ?
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ऐसा माना जाता है कि स्थानीय परंपरा, रीति-रिवाज एवं सामाजिक नियमन को समझने तथा स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से मेला की शुरुआत की गई । संथाल परगना दुमका जिला का सबसे बड़ा मेला जिसे राजकीय त्योहारों की सूची में शामिल किया गया है | हिजला मेला ब्रिटिश काल से चला अह रहा है | इस मेले को , तब के ब्रिटिश के जिला मजिस्ट्रेट रोबर्ट्स केस्टार के समय इस मेला को शुरू किया गया था |जिसका मेन उद्देश्य यहाँ आदिवासी के साथ मेल-मिलाप को बढ़ाना और उनकी जो रीती रिवाज , जीवन शैली और सामाजिक कार्यशैली को बेहतर रूप से समझना आदि | हिजला शब्द “हिज लॉज” से बना है |एक मान्यता यह भी है कि स्थानीय गाँव हिजला के आधार पर हिजला मेला का नामकरण किया गया ह। ब्रिटिश समय में यंहा के ग्रामीण इस मेले में कई सामान लेकर आते थे , और अपना वस्तु को बेचकर , जरुरत की दूसरी चीजों को खरीद लिया करते थे।
हिज़ला मेला का इतिहास – History of Hijla Mela ?
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वर्ष 1890 में तत्कालीन अंग्रेज प्रशासक जॉन राबटर्स कास्टेयर्स के समय हिजला मेला की शुरुआत की गयी थी | 32 साल के बाद , 1922 संस्थापक प्रशासक जॉन राबटर्स कास्टेयर्स की स्मृति में जुबली गेट का निर्माण कराया गया | जनजातीय शब्द तत्कालीन आयुक्त जीआर पटवर्धन की पहल पर 1975 में हिजला मेला के आगे जनजातीय शब्द जोड़ा गया ,और तब से जनजातीय हिजला मेला से जाने जाना लगा। 2008 में राज्य सरकार ने इस मेला को एक महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया | 2015 में राजकीय मेला का दर्जा दिया गया, जिसके बाद यह मेला राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव कहलाया |
हिज़ला मेला कहाँ मनाया जाता है ? – Where is Hijla Mela celebrated ?
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मग ,फाल्गुन यानी फरवरी महिना में लगने वाला हिजला मेला जो एक साप्ताहिक मेला है | यह मेला झारखण्ड की दूसरी राजधानी ( उपराजधानी ) दुमका में मनाया जाता है। त्रिकुट पर्वत से निकलने वाली मयूराक्षी नदी के किनारे हिजला मेला प्रत्येक वर्ष बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | यहाँ नदी किनारे और पर्वत पहाड़ के मध्य होने के चलते पंक्षीयो का चहकना जो इस मेले को और सौन्दर्य बना देता है | इस मेले में कला , नृत्य संगीत का प्रदर्शन किया जाता है |
हिजला मेला में क्या क्या होता है ? – What happens in Hijla Mela ?
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हिजला मेला विविधता से भरपूर है। जहाँ एक ओर जनजातीय संस्कृति, नृत्य-संगीत का प्रदर्शन होता है, वहीं दूसरी ओर भीतरी कला मंच पर दिन भर बच्चों का Quiz , conversation, debate प्रतियोगिता एवं बुद्धिजीवियों के मध्य परिचर्चा का आयोजन, रात्री में कॉलेज विद्यार्थियों के द्वारा पारंपारिक कथानकों का मंचन, बाहरी कला मंच पर सांस्कृतिक दलों के मध्य प्रतियोगिता तथा सांस्कृतिक संध्या जिसमें राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों का प्रदर्शन, खेल-कूद प्रतियोगिता के साथ-साथ पुस्तक, खानपान, मनोरंजन, पशु आदि से संबंधित खण्ड में दुकाने लगायी जाती है।
यदि आप झारखण्ड का लोक-संस्कृति और लोक गीत-संगीत को करीब से महसूस करना चाहते है, प्रकृति में विद्यमान शाश्वत संगीत और उसके लय की अनुभूति करना चाहते है या आप लोक मंगल समरसता में डूबना चाहते हैं तो आपको एक बार हिजला मेला जरुर जाना चाहिए।