Dr. Ram Dayal Munda: झारखंड के सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक पहचान को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित करने वाले महान व्यक्ति डॉ. राम दयाल मुंडा का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है। उनका जीवन आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों के संरक्षण के लिए समर्पित रहा। आइए उनके जीवन और योगदान को गहराई से समझें।
जन्म और प्रारंभिक जीवन | Birth and Early Life
23 अगस्त 1939 को झारखंड के रांची जिले के दिउड़ी गाँव में जन्मे राम दयाल मुंडा का बचपन शिक्षा और सांस्कृतिक माहौल से गहराई से जुड़ा हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अमलेसा लूथरन मिशन स्कूल तमाड़ में हुई। 1953 से 1957 तक उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा खूंटी हाई स्कूल से पूरी की।
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उच्च शिक्षा की तरफ बढ़ते हुए उन्होंने 1957 से 1963 के बीच रांची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उच्च अध्ययन के लिए वे शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका गए, जहां उन्होंने 1968 में भाषा विज्ञान में पीएचडी की। उनका झुकाव बचपन से ही शिक्षा और संस्कृति की तरफ था, जो उनके व्यक्तित्व का मुख्य आधार बना।
व्यक्तिगत जीवन | Personal Life
शिकागो में अध्ययन के दौरान उनका विवाह 1972 में हेजेल एन्न लुत्ज से हुआ, लेकिन यह रिश्ता अधिक समय तक नहीं चला। 1988 में उन्होंने अमिता मुंडा से विवाह किया, और उनका एक बेटा है जिसका नाम गुंजन इकिर मुंडा है।
झारखंड और आदिवासी संस्कृति में योगदान | Contribution to Jharkhand and Tribal Culture
डॉ. राम दयाल मुंडा का झारखंड और आदिवासी समाज के लिए योगदान अनमोल है। अमेरिका में एक सफल शैक्षणिक करियर के बावजूद, उन्होंने अपने समाज के लिए काम करने का संकल्प लिया और 1980-82 में भारत लौट आए।
- आदि धर्म की स्थापना: डॉ. मुंडा ने आदिवासियों के पारंपरिक धर्म को “आदि धर्म” के रूप में पहचान दिलाई। वे मानते थे कि आदिवासियों का धर्म अन्य धर्मों से अलग और अनूठा है। इस विषय पर उन्होंने पुस्तकें लिखीं और जागरूकता फैलाने का काम किया।
- सांस्कृतिक संरक्षण: उन्होंने झारखंडी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके द्वारा रचित “सरहुल मंत्र” आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। उन्होंने गीत, कविताएँ और लोक कला के माध्यम से अपनी संस्कृति को जीवित रखा।
- पाइका नृत्य: उनका नेतृत्व झारखंड के प्रसिद्ध “पाइका नृत्य” को सोवियत रूस और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों तक लेकर गया, जिससे इस कला को वैश्विक पहचान मिली।
शैक्षिक योगदान और लेखन | Academic Contribution and Writings
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डॉ. राम दयाल मुंडा केवल शिक्षाविद ही नहीं, बल्कि एक कुशल लेखक और कवि भी थे। उन्होंने आदिवासी समाज की समस्याओं और झारखंड आंदोलन पर 10 से अधिक पुस्तकें और 50 से अधिक निबंध लिखे। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं:
- आदि धर्म
- सरहुल मंत्र
- विवाह मंत्र
- जादुर दुराड़ को
- हिसिर
- सेलेद
- आदिवासी अस्तित्व और झारखंडी अस्मिता के सवाल
उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में गीत, कविताएँ और निबंध लिखकर साहित्यिक जगत को समृद्ध किया।
सम्मान और उपलब्धियाँ | Honors and Achievements
डॉ. राम दयाल मुंडा के योगदान को कई सम्मानों से नवाजा गया:
- 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।
- 2010 में राज्यसभा सांसद के रूप में नामांकन।
- पद्म श्री से सम्मानित।
उन्होंने रांची विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में भी सेवाएँ दीं। उनके सम्मान में कई पार्क, संस्थान और मूर्तियाँ स्थापित की गईं।
अंतिम समय और विरासत | Final Days and Legacy
डॉ. राम दयाल मुंडा का निधन 30 सितंबर 2011 को कैंसर के कारण हुआ। उनकी मृत्यु ने झारखंड और आदिवासी समाज को गहरा आघात पहुँचाया, लेकिन उनके कार्यों और विचारों ने उन्हें अमर बना दिया।
समाप्ति संदेश | Conclusion
डॉ. राम दयाल मुंडा झारखंड के सांस्कृतिक और सामाजिक गौरव के प्रतीक थे। उनकी शिक्षाएँ और योगदान आदिवासी समाज को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। झारखंड के लोग उनके प्रयासों और उपलब्धियों को कभी नहीं भूल पाएंगे।
FAQ Related to Dr. Ram Dayal Munda
- डॉ. राम दयाल मुंडा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
- 23 अगस्त 1939 को दिउड़ी गाँव, रांची।
- उन्होंने पीएचडी किस विषय में और कहाँ से की?
- भाषा विज्ञान में, शिकागो विश्वविद्यालय।
- उन्होंने किस धर्म की स्थापना की?
- “आदि धर्म”।
- उनकी प्रमुख पुस्तक कौन-सी है?
- “आदि धर्म”।
- पाइका नृत्य को कहाँ अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली?
- सोवियत रूस।
- डॉ. राम दयाल मुंडा को पद्म श्री कब मिला?
- 2010।
- उनका पहला विवाह किससे हुआ था?
- हेजेल एन्न लुत्ज।
- डॉ. राम दयाल मुंडा का निधन कब हुआ?
- 30 सितंबर 2011।
- उन्होंने कितनी किताबें लिखीं?
- 10 से अधिक।
- उनकी सांस्कृतिक रचना कौन-सी प्रसिद्ध है?
- “सरहुल मंत्र”।