जसिंता केरकेट्टा (Jacinta Kerketta): झारखंड की उभरती कवियित्री और आदिवासी आवाज़ की प्रतिनिधि

Akashdeep Kumar
Akashdeep Kumar - Student
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Jacinta Kerketta Biography: झारखंड की माटी ने कई साहित्यकार, कलाकार और व्यक्तित्वों को जन्म दिया है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसी ही एक युवा और उभरती कवियित्री हैं जसिंता केरकेट्टा, जो न केवल झारखंड, बल्कि पूरे भारत की पहचान बन चुकी हैं। उनकी कविताएं महिलाओं के अधिकार, आदिवासी समाज के संघर्ष और अंधविश्वासों के विरोध को आवाज़ देती हैं। इस लेख में हम जानेंगे जसिंता केरकेट्टा के साहित्यिक योगदान, उनकी उपलब्धियां और उनके जीवन से जुड़ी खास बातें।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

जसिंता केरकेट्टा का जन्म 3 अगस्त 1993 को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड के एक छोटे से गांव खुदपोश में हुआ। उनका जीवन झारखंड के आदिवासी समाज और संघर्षों से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनकी कविताएं और लेखन इसी समाज की सच्चाई को उजागर करती हैं।जचिंता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी की। बचपन से ही वे समाज की समस्याओं को लेकर संवेदनशील थीं। उन्होंने महसूस किया कि साहित्य एक ऐसा माध्यम है, जिससे वे अपनी बात पूरे समाज तक पहुंचा सकती हैं।

साहित्यिक योगदान

महिलाओं और आदिवासी समाज की आवाज

जसिंता केरकेट्टा की कविताएं महिलाओं और आदिवासी समाज की समस्याओं को सामने लाती हैं। उनकी रचनाओं में अंधविश्वास, जातिवाद और सामाजिक असमानता का विरोध प्रमुखता से दिखाई देता है। उनकी कविताएं केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चर्चित हैं। वे आदिवासी समुदायों के संघर्षों और उनके अधिकारों को अपने शब्दों के माध्यम से उजागर करती हैं।

प्रमुख काव्य संग्रह

अंगूर (2016)

• जसिंता केरकेट्टा का पहला काव्य संग्रह अंगूर 2016 में प्रकाशित हुआ। यह संग्रह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
• अंगूर का जर्मन संस्करण ग्लूट के नाम से जर्मनी में प्रकाशित हुआ।
• इस संग्रह ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की।

ईश्वर और बजा

• उनका दूसरा काव्य संग्रह भी साहित्य जगत में काफी सराहा गया।
अन्य प्रसिद्ध रचनाएं
जसिंता केरकेट्टा की कविताएं देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं जैसे नया ज्ञानोदय, युद्ध स्टार, आदमी शुक्रवार, और स्वागत में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी चर्चित कविताओं में शत दाल, माटी, रेत पर सूरज, और कविता के तीर बने शामिल हैं।

साहित्यिक उपलब्धियां और सम्मान

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

जसिंता केरकेट्टा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
इंडीजीनस वॉइस ऑफ एशिया रिकॉग्निशन अवार्ड (2014)
यह पुरस्कार उन्हें थाईलैंड की संस्था द्वारा दिया गया।
यूएनडीपी फैलोशिप
उनकी रिपोर्टिंग और लेखन के लिए उन्हें यह प्रतिष्ठित फैलोशिप प्रदान की गई।

प्रेरणा सम्मान

• रवि शंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार
• डॉ. रामदयाल मुंडा स्मृति सम्मान
• फॉर्ब्स इंडिया की “सेल्फ मेड विमेन 2022” सूची में स्थान
• जचिंता को भारत की 22 सेल्फ मेड महिलाओं में शामिल किया गया।
• इंडिया टुडे द्वारा “100 नए चेहरे”
• जचिंता को इंडिया टुडे ने अपनी विशेष सूची में स्थान दिया।
• तमिल पत्रिका “कान” द्वारा भारत की 10 प्रतिभाशाली महिलाओं में स्थान
• यूक्रेन के वैज्ञानिक पत्र में लेख प्रकाशित
जचिंता के लेखन पर आधारित एक लेख यूक्रेन की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

आदिवासी पत्रकारिता में योगदान

जसिंता केरकेट्टा ने न केवल साहित्य में, बल्कि पत्रकारिता में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आदिवासी समुदायों के संघर्षों पर आधारित कई रिपोर्ट्स लिखी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गईं। उनकी रिपोर्टिंग के लिए उन्हें इंडीजीनस वॉइस ऑफ एशिया जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

साहित्य और समाज की प्रेरणा

जसिंता केरकेट्टा का जीवन और लेखन समाज के लिए प्रेरणा है। उनकी कविताएं, उनकी रिपोर्टिंग, और उनकी उपलब्धियां यह दिखाती हैं कि कैसे एक छोटे से गांव से निकलकर कोई व्यक्ति विश्व स्तर पर पहचान बना सकता है। जसिंता केरकेट्टा ने झारखंड के साहित्य और समाज को नई पहचान दी है। उनकी कविताएं और लेखन केवल शब्द नहीं, बल्कि समाज की सच्चाई का दर्पण हैं।
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