Population of tribals in Santhal Pargana is Declining a serious issue: झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी के घटने की समस्या एक गंभीर और चिंताजनक विषय बन चुका है। यह क्षेत्र, जो कभी आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का केंद्र माना जाता था, अब धीरे-धीरे सामाजिक और जनसांख्यिकीय बदलाव का सामना कर रहा है। 1951 में, संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 44% थी, लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार, यह घटकर मात्र 28% रह गई। इसके विपरीत, क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1951 में, इस क्षेत्र में मुस्लिम जनसंख्या केवल 9% थी, जो अब बढ़कर 22% हो चुकी है। यह बदलाव केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक पहलू जुड़े हुए हैं। इस लेख में हम इन बदलावों के पीछे के संभावित कारणों और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
आदिवासी आबादी में कमी के कारण
संथाल परगना में आदिवासियों की घटती आबादी के पीछे कई कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
लव जिहाद और धर्मांतरण
एक गंभीर मुद्दा, जिसे स्थानीय लोग “लव जिहाद” के रूप में संबोधित करते हैं, यह है कि मुस्लिम पुरुष आदिवासी महिलाओं को प्रेम जाल में फंसाकर उनसे शादी करते हैं।
प्रेम के नाम पर छल: शादी के बाद, इन महिलाओं को धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है। इसका उद्देश्य केवल शादी करना नहीं होता, बल्कि आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करना भी होता है।
संपत्ति हड़पने की साजिश: शादी के बाद, ये पुरुष आदिवासी महिलाओं की जमीन पर अधिकार जमा लेते हैं और इसे अपने नाम करवा लेते हैं।
जमाई टोले का उदय: साहिबगंज और पाकुड़ जैसे जिलों में “जमाई टोले” बनाए गए हैं, जहां मुस्लिम पुरुष आदिवासी महिलाओं से शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर चुके हैं। ये इलाके इस समस्या का एक स्पष्ट उदाहरण हैं।
बाहरी लोगों की घुसपैठ
संथाल परगना के छह जिलों—गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, और पाकुड़—में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
नकली दस्तावेज: बांग्लादेशी नागरिक यहां आकर फर्जी दस्तावेज बनवाकर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।
आदिवासी महिलाओं को टारगेट करना: ये लोग आदिवासी महिलाओं को अपने प्रेम जाल में फंसाकर शादी करते हैं और उनकी जमीनें हड़प लेते हैं।
कमजोर प्रशासन और कानूनों की अनदेखी
झारखंड में एसपीटी एक्ट (संताल परगना टेनेंसी एक्ट) के तहत आदिवासी भूमि की सुरक्षा के प्रावधान हैं।
कानून का उल्लंघन: कानून यह कहता है कि आदिवासी जमीन का हस्तांतरण गैर-आदिवासियों को नहीं किया जा सकता। फिर भी, इन कानूनों का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है।
राजनीतिक दबाव: कई मामलों में स्थानीय प्रशासन और राजनेता इन मुद्दों पर कार्रवाई करने में असफल रहते हैं।
पलायन और शहरीकरण
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कई आदिवासी युवा रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों का खाली होना: आदिवासी परिवार अपने गांवों से पलायन कर रहे हैं, जिससे उनकी जमीनें बाहरी लोगों के लिए आसान लक्ष्य बन रही हैं।
शिक्षा और अवसरों की कमी: आदिवासी समुदाय में शिक्षा और नौकरी के अवसरों की कमी उनके पलायन का मुख्य कारण है।
मुस्लिम आबादी में वृद्धि के कारण: मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में वृद्धि का मुख्य कारण उनकी बेहतर सामाजिक संगठन क्षमता और आर्थिक गतिविधियों में हिस्सेदारी है।
सामाजिक एकता: मुस्लिम समुदाय के लोग संगठित रहते हैं और अपने अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करते हैं।
राजनीतिक प्रभाव: स्थानीय स्तर पर मुस्लिम नेताओं का प्रभाव बढ़ रहा है।
वोट बैंक राजनीति: राजनीतिक दलों के समर्थन के कारण मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या बढ़ने के साथ उनका दबदबा भी बढ़ रहा है।
जमीन और राजनीति में बढ़ता प्रभाव
मुस्लिम समुदाय अब न केवल आदिवासी जमीन पर कब्जा कर रहा है, बल्कि वे राजनीति में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ना: कई मुस्लिम पुरुष आदिवासी महिलाओं से शादी कर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
सुविधाओं का लाभ: आदिवासी महिलाओं को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल कर, ये पुरुष अपने राजनीतिक और आर्थिक हित साधते हैं।
क्या कहती हैं स्थानीय महिलाएं?
संथाल परगना क्षेत्र की कई आदिवासी महिलाएं अपनी कहानियां साझा करती हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती हैं।
शिवानी मरांडी: उन्होंने बताया कि कैसे नसीम अंसारी नामक व्यक्ति ने उनसे शादी की, उनकी जमीन पर कब्जा किया, और बाद में उन्हें छोड़ दिया।
जयंती मंडल: उन्होंने बताया कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने उन्हें हिंदू नाम बताकर प्रेम जाल में फंसाया और बाद में उन्हें छोड़ दिया।
समस्या का समाधान क्या हो सकता है?
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
कानून का सख्ती से पालन: एसपीटी एक्ट जैसे कानूनों को लागू करना और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करना।
शिक्षा और जागरूकता: आदिवासी समुदाय को शिक्षित करना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
महिला सशक्तिकरण: आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष योजनाएं चलाना।
प्रवासन पर रोक: बाहरी लोगों की घुसपैठ को रोकने के लिए सख्त सीमा सुरक्षा उपाय अपनाना।
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झारखंड का संथाल परगना क्षेत्र एक गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौती का सामना कर रहा है। आदिवासी समुदाय, जो इस क्षेत्र की आत्मा है, धीरे-धीरे अपनी जमीन, पहचान और अधिकार खो रहा है। यह स्थिति केवल झारखंड की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। अगर इसे समय पर नहीं सुलझाया गया, तो यह न केवल आदिवासियों की संस्कृति को खत्म कर देगा, बल्कि उनके अधिकारों पर भी सवाल खड़े करेगा।
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