जोहार दोस्तों! आज हम आपको झारखंड के अद्भुत जलप्रपातों ( Waterfalls of Jharkhand ) | झारखंड के झरनों/जलप्रपात | Famous Falls in Jharkhand | Jharkhand Circle के बारे में बताने वाले हैं। झारखंड अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, और उसके जलप्रपातों का एक अलग ही महत्त्व है। इस लेख में, हम झारखंड के कुछ प्रमुख जलप्रपातों ( Famous Falls in Jharkhand ) के बारे में चर्चा करेंगे, जो इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को और भी रंगीन बनाते हैं।
झारखंड के झरनों का परिचय – Introduction to Waterfalls of Jharkhand
प्राकृतिक सौन्दर्य और कला का आनंद लेने के लिए, झारखंड से बेहतर कोई अन्य स्थान नहीं है। झारखंड, जिसे हरा-भरा प्रदेश कहा जाता है, अपनी कल-कल करती नदियों, चुपचाप खड़ी पहाड़ियों, और मोहक झरनों के लिए प्रसिद्ध है।

यहाँ कोई भी देखने वाला उसे ताजगी से भरपूर और आनंदमय महसूस करता है। यहाँ के पहाड़ जंगलों के साथ मिलकर अपने सौन्दर्य को प्रकट कर रहे हैं। इस धरती पर एक विशाल आकार का जंगल है, जो आँखों को सुकून देता है, दिल को ताजगी देता है, और आत्मा को आनंदित करता है। यही परमानंद है। झारखंड में झरनों के जलप्रपात उनके दर्शनकर्ताओं को ऐसा ही अनुभव दिलाते हैं, जिनमें हर का अपना विशेष चर्म है। यहाँ आपको मानव-निर्मित बांध और तालाब भी मिलेंगे, जिनकी सुंदरता को देखने के लिए आप बार-बार लौटना चाहेंगे।
हुंडरू जलप्रपात – Hundru Waterfall
राँची के अनगड़ा प्रखंड में हुंडरू फॉल स्थित है। राजधानी राँची से लगभग इसकी दूरी 45 किलोमीटर के आसपास है। हुंडरू जलप्रपात झारखंड का सबसे प्रसिद्ध और सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यह प्रपात स्वर्णरेखा नदी के किनारे है। प्रपात करीब 320 फीट की ऊँचाई से गिरता है। बरसात के दिनों में इसकी धारा मोटी हो जाती है। तब इसका सौंदर्य और इठलाना देखते बनता है। इस प्रपात का निर्माण राँची स्कार्प के निर्माण के समय हुआ था, ऐसा भू वैज्ञानिकों का कहना है। इसे भ्रंश रेखा पर निर्मित प्रपात भी कहा जाता है। यहाँ पर एक टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स भी बनकर तैयार है। कॉम्प्लेक्स के छत पर हुंडरू के सौंदर्य को निहार सकते हैं। इसी जलप्रपात से सिकिदरी में पनबिजली का उत्पादन किया जाता है।

यहाँ आवागमन के साधन सरल व सुलभ हैं। हुंडरू जलप्रपात आने के लिए लोग मोटरसाइकिल, कार, ट्रेकर व बसों से आ सकते हैं। यह राँची-पुरुलिया सड़क मार्ग पर अनगड़ा के समीप है। हंडुरू जलप्रपात हिरनी के छलाँग के आकार में दिखता है। हाईवे पर स्थित राँची के ओरमाँझी ब्लॉक चौक से पूर्व दिशा की ओर जानेवाली पक्की सड़क से सिकिदिरी के रास्ते भी हुंडरू प्रपात तक पहुँचा जा सकता है। सुंदर नयनाभिराम पहाड़ियों के आँचल में लगभग 7-8 किलोमीटर और आगे सर्पिले मार्ग से जाया जाता है। सैलानी झरने के उद्गम तथा नीचे की तलहटी, दोनों तरफ से प्रपात की गिरती स्वच्छ-धवल जलराशि देखने का आनंद उठाते हैं।
दशम जलप्रपात – Dasam Waterfall
राजधानी राँची से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर यह फॉल स्थित है। यह राँची-टाटा मार्ग पर स्थित है। काँची नदी 144 फीट ऊँचाई से गिर कर प्रपात बनाता है। कभी इसमें दस धाराएँ हुआ करती थीं, जिसके कारण इसे ‘दशम’ कहा गया। यहाँ पानी की बौछार में स्नान करने का प्रचलन बहुत पहले से है। यहाँ सालों भर लोगों की भीड़ लगी रहती है।

यहाँ लोग ट्रेकर, मोटरसाइकिल, कार व बस द्वारा आसानी से आ सकते हैं। यह बुंडू स्थित सूर्य मंदिर के समीप है। इस जलप्रपात में स्नान करते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए।
जोन्हा जलप्रपात – Jonha Waterfall
राँची शहर से दक्षिण पूर्व में करीब 40 कि.मी. दूर जोन्हा जलप्रपात है। यह राँची-पुरुलिया हाईवे पर है। जोन्हा नामक गाँव के पास है, इस कारण इसे ‘जोन्हा फॉल’ कहते हैं। यहाँ पर गौतमबुद्ध का एक मंदिर भी है, जिसे बिड़ला परिवार ने बनवाया है। इस कारण यह ‘गौतम धारा’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ कभी भगवान् बुद्ध ने तपस्या की थी। इसकी धारा निरंतर बहती रहती है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

यहाँ पर अपने निजी वाहन, बस या रेल मार्ग से भी जाया जा सकता है। प्रपात के निकट ही गौतमधारा नामक रेलवे स्टेशन भी है। यहाँ पर भी पर्यटकों के लिए टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स है। यह जलप्रपात राढू नदी की 140 फीट की ऊँचाई से गिरती धारा प्रवाह पानी के कारण बना है। इस फॉल के समीप पहुँचने के लिए 450 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। यहाँ नया साल मनाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। राँची पठारी क्षेत्र होने के कारण झरनों की कहकहाती आवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहाँ का प्राकृतिक वातावरण लोगों का ध्यान खींचता है। इस फॉल का विहंगम दृश्य बरसात में देखते ही बनता है। बाहर के पर्यटक यहाँ भ्रमण के लिए खूब आते हैं।
सीता जलप्रपात – Sita Waterfall
राँची आएँ और सीता जलप्रपात न जाएँ तो आपकी यात्रा अधूरी कही जाएगी। यहाँ आने पर शरीर को स्फूर्ति तो मिलती ही है, मन को एक अद्भुत शांति भी मिलती है। राँची से इसकी दूरी लगभग 45 किलोमीटर है। 350 फीट की ऊँचाई से गिरता पानी एक जलप्रपात का रूप धारण कर लेता है। यहाँ 350 सीढ़ी उतरकर झरने तक पहुँचा जा सकता है। चारों ओर पहाड़ व जंगल से घिरा सीता फॉल की सुंदरता देखते बनती है। इसे राँची के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार किया जाता है। फॉल के पास ही सीता माता का मंदिर है, जिसका निर्माण बिड़ला परिवार ने कराया था। मंदिर के अंदर माता के पदचि है। ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान् राम, भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ कुछ दिन यहाँ ठहरे थे। इसी झरने के पास सीता माता खाना बनाती थीं। इस कारण यह फॉल अब सीता माता के नाम से जाना जाता है। यहाँ आवागमन के साधन सरल हैं। यहाँ बस, कार व ट्रेकर सहित अपनी निजी गाड़ियों से भी पहुँचा जा सकता है। यह भी राँची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है। यहाँ से जोन्हा जलप्रपात भी पासमें ही है।
हिरनी जलप्रपात – Hirni Waterfall
राँची से इसकी दूरी लगभग 70 किलोमीटर के आसपास है। यहाँ नए साल के अवसर पर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहाँ 120 फीट की ऊँचाई से पानी गिरता है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ बस, कार, व ट्रैकर द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह फॉल राँची-चक्रधरपुर मार्ग पर स्थित है। घने जंगल में होने के कारण यहाँ की छटा मन को मोह लेती है। स्वर्णरेखा नदी से जल गिरता है तो लगता है, कोई हिरनी छलाँग लगा रही हो। लंबे-लंबे, विशाल वृक्षों की सुंदरता, चारों तरफ घने जंगल बार-बार आने के लिए प्रेरित करते हैं।
घघारी जलप्रपात – Ghaghari Waterfall
राँची जिले के लापुंग प्रखंड में घघारी जलप्रपात है। साल के घने जंगलों के बीच हरी-भरी वादियों के बीच यह जमुनी नदी पर स्थित है। यह 130 फीट की ऊँचाई से गिरता है। यहाँ की मनोरम छटा देखकर पर्यटकों की जुबान पर बरबस ही प्रशंसा के बोल निकल पड़ते हैं। यह जलप्रपात साईं मंदिर से तीन कि.मी. दूर है। घघारी बाबा धाम भी है। यहाँ पर मकर संक्रांति उत्सव एवं घघारी मेले का भी आयोजन किया जाता है।
पंचघाघ जलप्रपात – Panchgagh Waterfall

राँची से पंचघाघ की दूरी लगभग 40 किलोमीटर के आसपास है। यह फॉल बालू से भरे तट व मनमोहक जंगलों से घिरा हुआ है। खूँटी से पाँच किलोमीटर की दूरी पर पाँच फॉल एक कतार में स्थित हैं। यहाँ की हरियाली मन मोह लेनेवाली है। यह भी स्वर्णरेखा नदी पर ही स्थित है। यह प्रपात भी हिरनी के नजदीक है। यहाँ लोगों का आना सालों भर लगा रहता है। यहाँ लोग आसानी से अपनी गाड़ियों से आ सकते हैं।
धारागिरी झरना – Dharagiri Waterfall
धारागिरी झरना, जो झारखंड में है, एशिया के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में से एक है। 20 फीट ऊंचा यह जलप्रपात कुछ ग्रामीण इलाकों में फैला हुआ है, जहां शहरी लोग अभी तक नहीं आ सकते हैं। पिकनिक मनाने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक है यह।धारागिरी झरने सबसे आकर्षक स्थानों में से कुछ हैं जो पर्यटकों को पहाड़ी की चोटी पर घूमने की अनुमति देते हैं। यह उष्णकटिबंधीय जंगलों से घिरा हुआ पर्यटकों के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। नदी के किनारे और धारागिरी झरने के वन क्षेत्रों में आने वाले जंगली जानवरों के कुछ अद्भुत दृश्य भी इस क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। यह झरना आसपास के गांवों से बहता है, जहां स्थानीय लोग रहते हैं। 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस क्षेत्र में अक्सर जंगली हाथियों का आना-जाना देखने को मिलता है, जो झरने के आसपास के वन क्षेत्र से गुजरते हैं।
सदनी जलप्रपात – Sadni Waterfall
राँची के पश्चिमी क्षेत्र यानी गुमला जिले में शंख नदी पर सदनी जलप्रपात है। इसकी धारा 61 मीटर यानी करीब 200 फीट की ऊँचाई से गिरती है। इसे देखकर हर पर्यटक की आँखें तृप्त हो जाती हैं। प्रपात के साथ ही जंगल का नजारा भी सुकून देता है। सर्पिल आकार का यह जलप्रपात एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो चुका हैं।
उसरी झरना – Usri Waterfall
गिरिडीह शहर की पूर्व दिशा में 14 कि.मी. की दूरी पर उसरी झरना स्थित है। उसरी झरने की ऊँचाई लगभग 40 फीट है और यह तीन धाराओं में नीचे गिरता है। उसरी झरना उसरी नदी का उद्गम स्थल है। इसके पास पिकनिक मनाना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है, क्योंकि वे यहाँ पर पिकनिक मनाने के साथ-साथ पारसनाथ पहाड़ी के मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं।
अपर घाघरी व लोअर घाघरी जलप्रपात – Uper Ghaghri and Lower Ghaghari Waterfall
लातेहार जिले का नेतरहाट समुद्रतल से करीब 3700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ का मौसम सालों भर समशीतोष्ण रहता है। वर्षा के मौसम में यहाँ सिर्फ पानी की बौछारें नहीं, बल्कि बादलों के बीच से गुजरता है यह पठार। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त विशेष आकर्षण का केंद्र है। पर्यटकों के लिए यहाँ बने टूरिस्ट बँगला और पलामू बँगला से यह नजारा देखा जा सकता है। मुख्य नगर से करीब 10 कि.मी. दूर ‘मैगनोलिया प्वॉइंट’ है। यह सूर्यास्त के दृश्य को देखने के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। नेतरहाट का समूचा क्षेत्र घने जंगलों, ऊँची-नीची पहाड़ियों और नदियों-झरनों से घिरा हुआ है। मुख्य शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर ‘अपर घाघरी’ जलप्रपात है। यह लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। यहाँ से सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर ‘लोअर घाघरी’ जलप्रपात है। बलखाती ‘कोयल’ नदी भी नेतरहाट के पास ही है। इसे ‘कोयल व्यू प्वॉइंट’ से घंटों निहारा जा सकता है।
सतबहिनी जलप्रपात – Satbahni Waterfall

गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड में स्थित सतबहिनी जलप्रपात प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। यह जलप्रपात मंगरदह के जंगलों में पत्थरों के नीचे से सोता के रूप में निकलकर सैकड़ों एकड़ भूमि को सिंचित करता है। यहाँ एक मंदिर भी बन गया है। यहाँ काफी चहल-पहल रहती है। यह स्थल जिला मुख्यालय गढ़वा से करीब 39 कि.मी. पर गढ़वा-कांडीवाले मार्ग पर है, यहाँ आप अपने वाहन से अथवा उस मार्ग में चलनेवाले सवारी वाहन से भी आसानी से जा सकते हैं। यह किसी के भी लिए एक सुरक्षित पर्यटनस्थल है। यहाँ सतबहिनी नदी ऊँचाई से जब सतह पर गिरती है तो काफी आकर्षक एवं रमणीय दृश्य उत्पन्न होता है। इस स्थल की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ आसपास काफी लंबा-चौड़ा खाली मैदान है, जहाँ बैठकर आप पिकनिक का आनंद ले सकते हैं। किंवदंती है कि कई दशक पूर्व इस स्थान पर सात बहनें सती हुई थीं, इसलिए इस झरना का नाम सतबहिनी पड़ा है।
पेरवाघाघ जलप्रपात – Parevagagh Waterfall
पेरवाघाघ जलप्रपात भारत के झारखंड राज्य में स्थित एक खूबसूरत झरना है। यह राजधानी रांची से लगभग 70 किमी दूर खूंटी जिले में स्थित है। झरने के चारों ओर हरे-भरे जंगल हैं, और यह पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। पेरवाघाघ झरना एक बहु-स्तरीय झरना है, जिसमें लगभग 20 मीटर से चट्टानी सीढ़ियों की श्रृंखला से पानी गिरता है। पानी चट्टानों के माध्यम से बहता है और नीचे एक प्राकृतिक पूल बनाता है, जो ठंडे पानी में तैरने और डुबकी लगाने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। आसपास का जंगल विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है, जिनमें पक्षियों, तितलियों और बंदरों की कई प्रजातियाँ शामिल हैं। पर्यटक जंगल में इत्मीनान से सैर कर सकते हैं और क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
गूँगा झरना – Gunga Waterfall
गढ़वा के भंडरिया प्रखंड में गूँगा झरना के नाम से प्रसिद्ध झरना भी आकर्षण का केंद्र है। करीब सौ फीट की ऊँचाई से यह झरना गिरता है, लेकिन गिरते झरने से कोई आवाज नहीं होती। इसलिए लोग इसे गूँगा झरना के नाम से पुकारते हैं। यह भी एक प्रकृति का रहस्य ही है।
गुरु सिंधु जलप्रपात – Guru Sindhu Waterfall
गढ़वा जिले से करीब 35 कि.मी. की दूरी पर झारखंड की दक्षिण सीमा पर चिनिया प्रखंड में अवस्थित गुरु सिंधु का जलप्रपात काफी मनोरम स्थल है। झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा को अलग करनेवाली कनहर नदी यहाँ पहुँचने के बाद काफी ऊँचाई से समतल पर गिरती है। इससे यहाँ मनोरम दृश्य उत्पन्न होता है। घने वनस्पति से घिरे पानी की धारा के बीच स्थित बड़े-बड़े चट्टानों पर बैठकर प्रकृति की इस मनोहरी छटा का आनंद लिया जा सकता है। कहते हैं लोग पहले जंगल में मंगल मनाने के लिए यहाँ आते थे, लेकिन बीच में नक्सलवाद की समस्या की वजह से बाहर से लोगों का आवागमन लगभग बंद हो गया। यद्यपि यहाँ कभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। हाल के दिनों में नए साल के अवसर पर यहाँ लोगों का आना-जाना फिर से शुरू हो गया है, लेकिन सैलानियों को सूर्य ढलने से पूर्व यहाँ से वापस होना पड़ता है, क्योंकि यहाँ ठहरने की कहीं कोई व्यवस्था नहीं है।
सुखलदरी झरना – Sukhldari Waterfall
गढ़वा जिले के धुरकी प्रखंड स्थित सुखलदरी का झरना खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहाँ के नयनाभिराम प्राकृतिक वातावरण में नए साल के वनभोज का आनंद लिया जा सकता है। सुखलदरी झारखंड एवं छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवस्थित है। जिला मुख्यालय से सुखलदरी करीब 70 कि.मी. है, जबकि रेलमार्ग से गढ़वा रोड-चोपन रेडखंड पर नगरऊँटारी से करीब 35 कि.मी. धुरकी होते जाना पड़ता है। नगरऊँटारी में उतरकर यात्री पैदल सड़क मार्ग से धुरकी तक वाहन से जाते हैं, उसके बाद करीब 15 कि.मी. आगे जाना पड़ता है। यहाँ कनहर नदी समुद्रतल से करीब 100 फीट नीचे से गुजरती है। वह ऊँची चट्टान से जब नीचे गिरती है तो मनोरम दृश्य उत्पन्न होता है। नीचे गिरते ही पानी के बड़े-बड़े फव्वारे बनते हैं। जिन पर सूर्य की किरणें जब पड़ती हैं तो फव्वारा सोने की भाँति चमकता है। झरना के इर्द-गिर्द नदी के बीच स्थित पत्थरों पर बैठकर झारखंड एवं छत्तीसगढ़ दोनों प्रदेश के मनोहारी वातावरण का अवलोकन किया जा सकता है। नीचे उतरने के लिए सरकार द्वारा सीढ़ी बनाई गई है। यद्यपि वर्ष 2000 में सरकारी खर्च से बनाई गई सीढ़ी, तोरण द्वार, विश्रमागार आदि की स्थिति जर्जर हो चुकी है। इसके बावजूद यहाँ लगभग सालों भर पर्यटक आते रहते हैं।
बाघमुंडा जलप्रपात – Baghmunda Waterfall
जब जंगल, नदी और पहाड़ों के अद्भुत सुरम्य संगम ने सैलानियों को आकर्षित किया, तो आपको लगता है कि आप बाघमुंडा की सुंदर वादियों की गोद में हैं।यह पिकनिक स्पॉट वास्तव में किसी को भी मोहित करने की क्षमता रखता है, क्योंकि यह बेखौफ़ होकर दक्षिण कोयल नदी को अपने में समेटते हुए सात धाराओं में बदल जाता है और तीन दिशाओं में बहता है। यह एक बड़ा कारण हैं कि मौसम गर्मी, सर्दी या बरसात हो। यहां हर साल सैलानियों का तांता लगा रहता है। यद्यपि, यह पिकनिक स्पॉट भौतिक सुविधाओं को प्रदान करने की स्थिति में नहीं है। इसके बावजूद, यह अपनी नैसर्गिकता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लोध जलप्रपात – Lodh Waterfall
लोध जलप्रपात बेतला-चटकपुर मार्ग में पड़ता है। झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसा यह महुआडांड़ से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोध गाँव के पास ही यह झरना है, जिसे लोध जलप्रपात भी कहा जाता है। इसमें जो पानी आता है, वह छत्तीसगढ़ की नदी से होकर गुजरता है। यह पानी 565 फीट की ऊँचाई से झारखंड की सीमा पर स्थित बूढ़ा नदी में गिरता है, जो कि महुआडाँड़ की महत्त्वपूर्ण नदी है इससे जो कहानी जुड़ी है, उसे जानना भी कम रोचक नहीं है। कोयल नदी के बारे में कहा जाता है कि इसकी धारा कोयल की आवाज की भाँति आवाज देते गुजरती है।

इसलिए इसका नाम कोयल पड़ा। कोयल नदी महुआडाँड़ के लोध गाँव के पास ऊँची पहाड़ी को देखकर ठिठक गई थी। कोयल नदी अपनी धारा को बदलने के विचार में थी। उसके पीछे एक नदी आ रही थी। उसने कोयल को हिम्मत दिया और आगे खुद बढ़कर चट्टान को काटते हुए रास्ता बनाया, जिससे कोयल नदी भी होकर गुजरी। इसलिए इस नदी को कोयल ने ही बूढ़ा घाघ नदी का नाम दिया। यहाँ जाने पर थोड़ी सावधानी भी जरूरी है। जिस स्थान पर वाटर फॉल होता है, वहाँ बीस फीट व्यास का कुआँनुमा आकार हो गया है, यहाँ पानी गिरने से भँवर जैसा बन जाता है, इसलिए सावधानी जरूरी होती है। फॉल के बगल में पहाड़ों की श्रृंखला है। चारों ओर हरियाली है। जाने के लिए जो रास्ता है, वह पाँच किलोमीटर तक संकीर्ण और दोनों तरफ पहाड़ियों से घिरा है। यात्रा में रोमांच और प्रकृति के अनुपम उपहार को देखना है तो एक बार जरूर जाइए बूढ़ा फॉल।
हेसातु झाझ जलप्रपात – Hesatu Waterfall
गढ़वा के ही हेसातु गाँव से दो कि.मी. दूर दक्षिण में हेसातु झाझ जलप्रपात है। इस प्रपात का पानी गुलगुल पाट से बहकर आता है। यहीं हरैया नदी का उद्गम स्थल भी है। नदी के उद्गम स्थल पर पूजा भी की जाती है।
केकरांग व लावापानी जलप्रपात – Kekrang or Lavapani Waterfall
लोहरदगा जिले के बगडु पठार से निकलनेवाला केकरांग जलप्रपात पेशरार जाने के रास्ते पर है। सालों भर प्रवाहवाले इस स्थल पर आने पर शांति मिलती है। पेशरार प्रखंड में स्थित लावापानी जलप्रपात काफी आकर्षक है। ऊँचाई से लावे के समान पानी गिरने से इसका नामकरण हुआ है। लगभग 300 फुट ऊँची खड़ी चट्टान से पानी गिरनेकी आवाज पठारी वादियों से गूँजती रहती है।
धरधरिया जलप्रपात – Dhardhariya Waterfall
लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड में स्थित धरधरिया जलप्रपात में प्राकृतिक सौंदर्य भरा पड़ा है। पिकनिक स्पॉट के रूप में इसकी पहचान है। इसके अलावे भंडरा का अखिलेश्वर धाम, खखपरता का पौराणिक शिवमंदिर, बक्शीपतरा, चिरीपतरा, नंदनी डैम आदि भी मनोरम प्राकृतिक स्थल है।
रजरप्पा जलप्रपात – Rajrappa Waterfall

रामगढ़ जिले से पूरब करीब 25 कि.मी. की दूरी पर रजरप्पा जलप्रपात है। अनोखे प्राकृतिक दृश्य के इस जलप्रपात का धार्मिक महत्त्व है। यहाँ मेला भी लगता है। यह जलप्रपात दामोदर नदी और भैरवी नदी के संगम पर अवस्थित है।
तमासीन जलप्रपात – Tamasin Waterfall
चतरा जिले से 26 कि.मी. दूर तमासीन जलप्रपात है। यहाँ भी प्रकृति का खूबसूरत नजारा दिखता है। इस स्थल पर भी पर्यटक दूर-दूर से आते हैं और प्रकृति का आनंद लेते हैं।
भटिंडा जलप्रपात – Batinda Waterfall
धनबाद से बोकारो जाने के रास्ते पर मुनीडीह खान के पास जंगल में भटिंडा जलप्रपात है। वह भी अच्छा पर्यटन स्थल है। धनबाद से 36 किलोमीटर दूर जीटी रोड के करीब ही तोपचाँची में ललकी व डोलकी पहाड़ियों के बीच सुंदर झील है। यहाँ पर्यटकों के लिए जल-क्रीड़ा की व्यवस्था है। जिले में तेंतुलिया के पास गरम जल का झरना है ।
गढ़सिंमला जलप्रपात – Garsimla Waterfall
गोड्डा जिले के सुंदर पहाड़ी प्रखंड में है गढ़सिंमला जलप्रपात। जैसा नाम, वैसी जगह। सुंदर वादियों की खूबसूरती हर आनेवाले को अपने आगोश में ले लेती है। जिले से इस प्रपात की दूरी 45 कि.मी. है और सुंदर पहाड़ी से 25 कि.मी.। सुंदर पहाड़ी से चंदना व चंदना से गढ़सिंमला आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ पहुँचते ही सारी थकान गायब हो जाती है। इसी प्रखंड में गढ़सिंघला मैदान भी है। इस मैदान की विशेषता यह है कि पैर पटकने पर धम्म की आवाज निकलती है, जैसे भीतर खोखला हो। इस मैदान को पूर्व में कभी घेरा गया था। जिसके ध्वंसावशेष आज भी मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि पहाड़िया राज में सेना की छावनी इस मैदान के भीतर रही होगी और इसका प्रवेश द्वार गुप्त होगा।
मोती झरना – Moti Waterfall
साहेबगंज स्टेशन से 15 कि.मी. दूर यह एक मुगलकालीन धरोहर है। महाराजपुर से इसकी दूरी 3 कि.मी. है। मोती झरना साहेबगंज की शान है। नाम के अनुरूप प्रकृति ने यहाँ का चप्पा-चप्पा दर्शनीय बनाया है। यहाँ की गगनचुंबी पहाड़ों की श्रृंखला और 75 मीटर की ऊँचाई से गिरते कल-कल करते झरने बरबस ही अपनी ओर लोगों को आकर्षित कर लेते हैं।

यहाँ की ऊँची सड़क से बरसात के दिनों में गंगा का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। यहाँ पहाड़ गुफा में स्थापित शिवलिंग भी लोगों के श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर में जलार्पण के लिए भारी संख्या में भक्त गंगा नदी से जल लेकर यहाँ आते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर गरमी के दिनों में झरना के फव्वारे का आनंद पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय है। मोती झरना के मार्ग पर पर्यटन विभाग द्वारा स्वागत द्वार बनाया गया है। मोती झरना पहाड़ की एक गुफा में भगवान् भोले शंकर का शिवलिंग स्थित है। लोगों का कहना है कि आज भी महीने में दो दिन अर्थात् अमावस्या व पूर्णिमा की रात शिवलिंग में नाग-नागिन आकर कई मिनट तक भाव-विभोर होकर आलिंगनबद्ध रहते हैं। जिस दृश्य को देखकर वहाँ के पुजारी आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
पैट्रो झरना – Petro Waterfall
कोडरमा जिले सतगाँवा प्रखंड में स्थित पैट्रो झरना प्रकृति की गोद में बसा है। यहाँ ककोलत में खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। यह घने जंगलों में स्थित है और बहुत ही खूबसूरत है। इन झरनों के आस-पास के क्षेत्र भी काफी मनोहारी हैं। पर्यटक चाहें तो इन जंगलों की सैर पर जा सकते हैं और वन्य जीवों व पेड़-पौधों की आकर्षक छटा देख सकते हैं। लेकिन यह बात ध्यान देने योग्य है कि यहाँ तक पहुँचना काफी मुश्किल है। यह सतगाँवा प्रखंड मुख्यालय से 10 कि.मी. दूर है। प्राकृतिक छटा से भरपूर इस स्थान पर विंध्यवासिनी देवी का मंदिर भी है। इसके अलावा जिले के झरनाकुंड, झील रेस्टोरेंट, उरवाँ जवाहर घाट, नीरू पहाड़ी, डेंगरा पहाड़ी सहित कई इलाकों में लोग 1 जनवरी को पिकनिक मनाना पसंद करते हैं। कोडरमा भारत के अभ्रक जिला के रूप में जाना जाता है। इसे झारखंड का प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है। 717 गाँवोंवाले इस जिले का निर्माण हजारीबाग जिले को विभाजित कर 10 अप्रैल, 1994 को किया गया। इस जिले में सिर्फ दो शहर कोडरमा और झुमरी तिलैया हैं। कोडरमा जिले की सीमाएँ बिहार में गया और नवादा तथा झारखंड में गिरिडीह एवं हजारीबाग के साथ लगती हैं। इस जिले में पाँच प्रखंड कोडरमा, जयनगर, मरकच्चौ, सतगाँवा एवं चंदवारा है। इस जिले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि विश्व के पूरे अभ्रक का 90 प्रतिशत उत्पादन यहीं होता है।
धारागिरि जलप्रपात – Dharagiri Waterfall
धारागिरि फाल भी घाटशिला में है और यह भी एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट बन चुका है। यह भी बुरुडीह के रास्ते में है। आस-पास घने जंगल हैं। यहाँ की चट्टानें प्रि-हिस्टोरिक हैं, जिस पर से पानी गिरता है। यहीं पर काली मंदिर भी है, यहाँ काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गोवा जलप्रपात – Goa Waterfall
सेरका जलप्रपात – Sekra Waterfall
थाकोरा जलप्रपात – Thokra Waterfall
आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। झारखंड के जलप्रपातों का आनंद लेने के लिए अवश्य इन्हें एक बार जरूर देखें। जो भी आपका अनुभव हो, हमें अपनी राय देने में खुशी होगी। धन्यवाद! और हाँ, अगले लेख में मिलेंगे, तब तक के लिए अलविदा।