इस ब्लॉग में हम झारखंड के प्रमुख उद्योगों ( Industries in Jharkhand ) के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। झारखंड क्षेत्र में उद्योगों का महत्वपूर्ण स्थान है, और यहां के उद्योगों का महत्व भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता हुआ है। झारखंड एक ऐतिहासिक रूप से खनिज धन के साथ ही वन्यजीवन के अद्वितीयता के लिए भी प्रसिद्ध है।
झारखण्ड में लौह एवं इस्पात उद्योग ( Iron and Steel Industry in Jharkhand )
झारखंड, भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रमुख राज्य है, जो अपनी खनिज संपदा और औद्योगिक क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का लौह एवं इस्पात उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। झारखंड में स्थित बड़े-बड़े इस्पात कारखाने और लौह अयस्क की खानें इसे इस्पात उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाती हैं।टाटा स्टील ने जमशेदपुर में अपना पहला इस्पात कारखाना स्थापित किया। इसके बाद, बोकारो और रांची जैसे शहरों में भी कई इस्पात कारखानों की स्थापना हुई। इन कारखानों में आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है, जो उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात उत्पादन सुनिश्चित करते हैं। झारखंड का लौह एवं इस्पात उद्योग न केवल घरेलू बाजार की मांग को पूरा करता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना चुका है।
टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी – टिस्को // Tata Iron & Steel Company – TISCO
इसकी स्थापना 1907 ई. में दोराबजी टाटा द्वारा साकची (जमशेदपुर) में की गई थी तथा 1911 ई. में इस संयंत्र से लोहे का तथा 1914 ई. में इस्पात का उत्पादन प्रारंभ हुआ। यह पूर्वी सिंहभूम जिले में स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी के संगम पर स्थित है।

टाटा स्टील की स्थापना का प्रारंभिक विचार जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा का था, जिनकी मृत्यु 1904 ई० में हो गयी। टाटा स्टील का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। यह भारत का पहला तथा सबसे बड़ा लौह एवं इस्पात संयंत्र है। टिस्को को विभिन्न खनिजों की प्राप्ति निम्न प्रकार होती है:-
✿ कोकिंग कोयला को रानीगंज तथा झरिया से निकला जाता है।
✿ मैंगनीज एवं क्रोमाइट को चाईबासा खान से निकला जाता है।
✿ चूना पत्थर एवं डोलोमाइट को सुन्दरनगर (उड़ीसा) से निकला जाता है।
✿ कच्चा लोहा को मयूरभंज तथा नोआमुण्डी (सिंहभूम) से निकला जाता है।
सन् 1948 में टाटा समूह ने अपने उद्योगों का विस्तार करते हुए जमशेदपुर में ‘टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव’ की स्थापना की थी। वर्ष 2005 में टिस्को का नाम बदल कर टाटा स्टील (Tata Steel) कर दिया गया है।
बोकारो स्टील प्लांट // Bokaro Steel Plant

यह ( बोकारो स्टील प्लांट ) बोकारो के माराफारी नामक स्थान पर स्थित है। 1964 ई. (29 जनवरी) में स्थापित यह झारखण्ड का दूसरा लौह-इस्पात उद्योग है। 1972 ई. (2 अक्टूबर) में इस संयंत्र में आग की प्रथम भट्टी स्थापित की गयी थी। 1974 ई. से इस संयंत्र से उत्पादन प्रारंभ हुआ तथा 26 फरवरी, 1978 को यहाँ से 1.7 मीट्रिक टन इगनट स्टील (Ignot Steel) का उत्पादन पूर्ण हुआ। (Source- www.sail.co.in) यह भारत का पहला स्वदेशी स्टील संयंत्र है। इसकी स्थापना रूस (सोवियत यूनियन) की सहायता से की गई है। यह भारत का चौथा बड़ा लौह-इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र दामोदर नदी घाटी के तेनुघाट और गरगा डैम के समीप अवस्थित है। यह सेल (Steel Authority of India Limited SAIL) के अंतर्गत कार्यरत है। इस संयंत्र को विभिन्न खनिजों की प्राप्ति निम्न प्रकार होती है:-
✿ कोकिंग कोयला को झरिया से निकला जाता है।
✿ लौह अयस्क को क्योंझोर की खान से निकला जाता है।
✿ चूना पत्थर को मध्य प्रदेश से निकला जाता है।
झारखण्ड में तांबा उद्योग ( Copper Industry in Jharkhand )

झारखण्ड के घाटशिला (सिंहभूम जिला) में भारत का प्रथम तांबा उद्योग 1924 ई. में स्थापित किया गया था। इन खानों से तांबा के अयस्क को रज्जूमार्ग द्वारा मउभण्डरा भेजा जाता है जहाँ इनसे शुद्ध ताबा निकाला जाता है।इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन (Indian Copper Corporation) ने 1930 ई. में घाटशिला के पास तांबा शोधन केंद्र स्थापित किया है। झारखण्ड में तांबा उद्योग के अन्य महत्वपूर्ण केन्द्र:-
✿ हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड जो की झारखण्ड के जादूगोड़ा में है ।
✿ इंडियन केबल कंपनी लिमिटेड जो की झारखण्ड के जमशेदपुर में है।
झारखण्ड में एलुमिनियम उद्योग ( Aluminium Industry in Jharkhand )

भारत में एलुमिनियम अयस्क (एलुमिना) का 16% भाग झारखण्ड से प्राप्त होता है। झारखण्ड के मुरी (राँची) में इंडियन एलुमिनियम कंपनी लिमिटेड द्वारा 1938 ई. में एलुमिनियम उद्योग की स्थापना की गई है। यह भारत का दूसरा सबसे पुराना एवं दूसरा सबसे बड़ा संयंत्र है। इस संयंत्र को लोहरदगा से बॉक्साइट के रूप में कच्चे माल की प्राप्ति होती है। बॉक्साइट से एलुमिना बनाकर इसे अलमपुरम एवं अलवाय (केरल), बेलूर (कोलकाता) और लेई (मुंबई) के कारखानों में भेज दिया जाता है।
✿ एलुमिनियम का उपयोग बर्तन, बिजली के तार, मोटर, रेल एवं वायुयान बनाने में किया जाता है।
झारखण्ड में सीमेंट उद्योग ( Cement Industry in Jharkhand )

झारखण्ड में चुना पत्थर के प्रचुर भंडार उपलब्ध होने के कारण यहाँ सीमेंट उद्योग का पर्याप्त विकास संभव हुआ है। झारखण्ड के जपला (पलामू), झींकपानी (पश्चिमी सिंहभूम), खलारी (राँची), सिंदरी (धनबाद), जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम), डोमोटांड (हजारीबाग) आदि क्षेत्रों में सीमेंट उद्योग स्थापित किए गए हैं। सिंदरी, बोकारो, झींकपानी एवं जमशेदपुर के कारखानों में स्लैग (Slag) एवं स्लज (Sludge) का उपयोग सीमेंट निर्माण हेतु किया जाता है। स्लेग तथा स्लज सीमेंट कारखानों के उपउत्पाद हैं। झारखण्ड में झींकपानी एवं जमशेदपुर का लाफार्ज सीमेंट कारखाना लौह-इस्पात उद्योग के अवशिष्ट पर आधारित सीमेंट संयंत्र हैं। झारखण्ड में प्रथम सीमेंट उद्योग की स्थापना 1921 ई. में जपला (पलामू) में की गयी थी।
झारखण्ड में इंजीनियरिंग उद्योग ( Engineering Industry in Jharkhand )
झारखंड, अपनी खनिज संपदा के साथ-साथ Engineering Industry में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहाँ का इंजीनियरिंग उद्योग अत्याधुनिक तकनीकों और कुशल मानव संसाधन के बल पर नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है। जमशेदपुर, रांची और बोकारो जैसे शहर इस उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं, जहाँ उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण और मशीनरी का उत्पादन होता है। झारखंड का Engineering Industry न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है, बल्कि रोजगार के अनेक अवसर भी उत्पन्न कर रहा है। यह उद्योग राज्य के विकास में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित है और भविष्य में भी इसकी प्रगति की संभावनाएँ अत्यधिक प्रबल हैं।
हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन // Heavy Engineering Corporation – ( HEC)

इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा रूस एवं चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से 1958 ई. (31 दिसंबर) में राँची के हटिया नामक स्थान पर की गई है। इसकी स्थापना कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत की गयी थी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने राँची यात्रा के दौरान 15 नवंबर, 1963 को इस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया था। इस संयंत्र में 1964 ई. में उत्पादन प्रारंभ हुआ। इस संयंत्र में कल-कारखानों के लिए मशीनों, कल-पुर्जे आदि इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एच०ई०सी० के द्वारा तीन संयंत्रों की स्थापना की गई है:-
✿ हैवी मशीन बिल्डिंग प्लांट (HMBP)
रूस की सहायता से स्थापित यह संयंत्र किसी भी उद्योग की संरचना डिजाइन करने की क्षमता रखता है।
✿ हैवी मशीन टूल्स प्लांट (HMTP)
चेकोस्लोवाकिया की सहायता से स्थापित इस संयंत्र में भारी मशीनों के औजारों का निर्माण किया जाता है।
✿ फांउड्री फोर्ज प्लांट (FFP)
चोकोस्लोवाकिया की सहायता से स्थापित यह एक ढलाई भट्टी (Foundry Forge) है। इसमें भारी मशीन या औजार के निर्माण के लिए लोहा को गलाने एवं विशेष आकृतियों में ढालने का काम किया जाता है।
अन्य इंजीनियरिंग इकाईयाँ
● गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड धुर्वा (राँची) में स्थित है।
● भारत वेस्टफालिया लिमिटेड नामकुम (राँची) में स्थित है।
● ऊषा मार्टिन ब्लैक वायर रोप्स लिमिटेड टाटीसिल्वे (राँची) में स्थित है।
● एशियन रिफ्रैक्ट्रीज लिमिटेड बोकारो में स्थित है।
● इंडियन एक्सप्लोसिव फैक्ट्री गोमिया (बोकारो) में स्थित है।
● टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) में स्थित है।
● इंडियन स्टील एण्ड वायर प्रोडक्ट्स लि० जमशेदपुर में स्थित है।
● इंडियन ट्यूब कंपनी लिमिटेड जमशेदपुर में स्थित है।
● रेलवे इंजीनियरिंग वर्कशाप जमशेदपुर में स्थित है।
● धनबाद इंजीनियरिंग वर्क्स कुमारधुबी (धनबाद) में स्थित है।
● हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड धनबाद में स्थित है।
● न्यू स्टैंडर्ड इंजीनियरिंग धनबाद में स्थित है।
झारखण्ड में कोयला धोवन उद्योग (Coal Washeries Industry)

झारखण्ड में जामादोबा, बोकारो, लोदला, करगाली, दुगदा, पाथरडीह, कर्णपुरा आदि प्रमुख कोयला धोवन केन्द्र हैं। कोयला धोवन गृहों के द्वारा कोयले से शेल, फायरक्ले आदि अशुद्धियों को दूर किया जाता है। करगाली कोल वाशरी (बोकारो) एशिया की सबसे बड़ी कोल वाशरी है।
झारखण्ड में उर्वरक उद्योग ( Fertilizer Industry in Jharkhand )

भारत का प्रथम उर्वरक कारखाना 1951 ई. में सिंदरी (धनबाद) में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा स्थापित किया गया था। यह पूर्वी भारत का सबसे बड़ा उर्वरक कारखाना है। यहाँ से अमोनियम सल्फेट, नाइट्रेट एवं यूरिया का उत्पादन किया जाता है। 15 जून, 2016 को इसका नामकरण हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HUCL) कर दिया गया है तथा इसे एक संयुक्त उपक्रम कंपनी बना दिया गया है जिसमें निम्न की हिस्सेदारी है-
✿ कोल इण्डिया लिमिटेड, एनटीपीसी, आईओसीएल – 89%
✿ फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड – 11%
झारखण्ड में काँच उद्योग ( Lead Industry in Jharkhand )

जापान के सहयोग से भुरकुण्डा (रामगढ़) में अत्याधुनिक काँच कारखाना स्थापित किया गया है। इसे इण्डो-आशाई ग्लास फैक्ट्री (Indo-Ashai Glass Factory) के नाम से जाना जाता है। झारखण्ड में काँच उत्पादन के अन्य प्रमुख क्षेत्र कतरासगढ़ व अम्बोना (धनबाद) और कान्द्रा (सिंहभूम) हैं। इसे कच्चे माल की प्राप्ति राजमहल पहाड़ी क्षेत्र, मंगल घाट एवं पत्थर घाट से होती है।
झारखण्ड में रिफैक्ट्री उद्योग ( Refractory Industry in Jharkhand )
इस उद्योग के अंतर्गत उच्च ताप सहन करने वाली धमन भट्टियों का निर्माण किया जाता है जिसका प्रयोग लौह-इस्पात उद्योग सहित विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। झारखण्ड में चिरकुण्डा, कुमारधुबी, धनबाद, राँची रोड, मुग्मा आदि में इस प्रकार के उद्योगों का विकास हुआ है। दामोदर घाटी क्षेत्र में पायी जाने वाली मिट्टी इस उद्योग की स्थापना हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।
झारखण्ड में वन आधारित उद्योग ( Industry Based on Forest Products )
झारखंड, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर और हरियाली से घिरा राज्य, वन आधारित उद्योगों के लिए एक आदर्श स्थल है। यहाँ की घने जंगलों में पाए जाने वाले मूल्यवान वन उत्पादों ने विभिन्न उद्योगों को जन्म दिया है। लकड़ी, बांस, लाख, और औषधीय पौधों जैसे संसाधनों का उपयोग कर यहाँ कई छोटे और बड़े उद्योग विकसित हुए हैं। ये उद्योग न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों को रोजगार और आजीविका के साधन भी प्रदान करते हैं। वन आधारित उद्योगों की बढ़ती संभावनाओं के साथ, झारखंड न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में अग्रणी है, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
झारखण्ड में लाह उद्योग ( Lac Industry in Jharkhand )

भारत में कुल लाह का 60% उत्पादन झारखण्ड राज्य से होता है। लाह उत्पादन की दृष्टि से भारत में झारखण्ड का स्थान प्रथम है। कुसुम, पलाश, बेर आदि के पौधों पर लाह के कीड़ों का पालन किया जाता है। पलामू प्रमण्डल लाह उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है। इसके बाद क्रमश: राँची व पश्चिमी जिले का स्थान है। टोरी (लातेहार) का लाह निर्यात की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान है। झारखण्ड में कुल लाह उत्पादन का 90% निर्यात कर दिया जाता है। लाह उत्पादन की दृष्टि से राज्य में खूँटी का स्थान प्रथम है। 1925 ई. में नामकुम (राँची) में भारतीय लाह अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी।
झारखण्ड में रेशम उद्योग (Silk Industry in Jharkhand )

झारखण्ड में देश का 76.4% तसर रेशम उत्पादित किया जाता है। (Source – Jharkhand Economic Survey 2020-21) रेशम उत्पादन की दृष्टि से प्रमुख क्षेत्र सिंहभूम (40%) संथाल परगना (26%) तथा हजारीबाग (13%) हैं।राज्य में तसर रेशम का उत्पादन मुख्यत: चाईबासा, खरसावां, जमशेदपुर, मेदिनीनगर, हजारीबाग, लोहरदगा, दुमका आदि स्थानों पर किया जाता है। राज्य की राजधानी राँची में नगड़ी नामक स्थान पर ‘तसर अनुसंधान केंद्र’ अवस्थित है।
झारखण्ड में तंबाकू उद्योग (Tobacco Industry in Jharkhand )

झारखण्ड में मुख्यतः बीड़ी उद्योग के रूप में तंबाकू उद्योग विकसित हुआ है। बीड़ी का निर्माण केन्दु पत्ता एवं तंबाकू से किया जाता है। झारखण्ड में बीड़ी उद्योग का विकास मुख्यतः सरायकेला, जमशेदपुर, चक्रधरपुर एवं संथाल परगना में हुआ है।
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इस ब्लॉग के माध्यम से हमने झारखंड के उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका को जाना और समझा। झारखंड के उद्योग सेक्टर ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह नौकरियों की सृजना, खनिज संसाधनों का उपयोग, और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी और आपको झारखंड के उद्योगों के महत्व को समझने में मदद मिली होगी। धन्यवाद!